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ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम On-Grid Solar System: Complete Guide

आज के समय में जब बिजली की कीमतें दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं, तो सोलर एनर्जी यानी “सौर ऊर्जा” लोगों के लिए एक बेहतरीन विकल्प बनकर सामने आई है। सोलर सिस्टम के कई प्रकार होते हैं – जैसे ऑन-ग्रिड, ऑफ-ग्रिड और हाइब्रिड
लेकिन अगर आप ऐसी जगह रहते हैं जहाँ बिजली आती रहती है और आप बिजली बिल को कम करना चाहते हैं, तो आपके लिए ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम सबसे अच्छा विकल्प है।

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ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम क्या होता है On-Grid Solar System: Complete Guide

ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम को ग्रिड-टाइड सोलर सिस्टम भी कहा जाता है। इसका मतलब होता है कि यह सिस्टम सीधे बिजली विभाग की मेन सप्लाई लाइन (ग्रिड) से जुड़ा होता है।

जब सूरज की रोशनी सोलर पैनलों पर पड़ती है, तो पैनल उसे बिजली (DC करंट) में बदलते हैं।
फिर सोलर इन्वर्टर इस DC बिजली को AC करंट में कन्वर्ट करता है, जो हमारे घर या दफ्तर में इस्तेमाल होती है।

अगर आपके सोलर पैनल ज्यादा बिजली बनाते हैं, तो अतिरिक्त बिजली बिजली विभाग (ग्रिड) में भेज दी जाती है — और इसके बदले में आपको यूनिट के हिसाब से क्रेडिट (Net Metering Benefit) मिलता है।

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ऑन-ग्रिड सिस्टम के मुख्य उपकरण Main Components of an On-Grid Solar System

ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम कई हिस्सों से मिलकर बनता है। आइए जानते हैं इसके मुख्य पार्ट्स:

1️⃣ सोलर पैनल (Solar Panels)

  • यह सिस्टम का सबसे जरूरी हिस्सा है।

  • पैनल सूरज की रोशनी को पकड़कर बिजली बनाते हैं।

  • सामान्यतः Mono PERC या Polycrystalline पैनल उपयोग में आते हैं।

  • 1 kW सोलर सिस्टम के लिए लगभग 3 से 4 पैनल लगते हैं।

2️⃣ सोलर इन्वर्टर (Solar Inverter)

  • यह DC बिजली को AC में बदलने का काम करता है।

  • ऑन-ग्रिड सिस्टम में Grid-Tied Inverter लगाया जाता है जो ग्रिड से सिंक होकर काम करता है।

3️⃣ नेट मीटर (Net Meter)

  • यह मीटर दो तरफ की बिजली को मापता है –

    1. ग्रिड से ली गई बिजली

    2. ग्रिड को भेजी गई बिजली

  • महीने के अंत में जो यूनिट आप ग्रिड को देते हैं, वो आपके बिल से घटा दी जाती है।

4️⃣ Mounting Structure

  • यह लोहे या एल्यूमिनियम का फ्रेम होता है जिस पर सोलर पैनल लगाए जाते हैं।

  • यह छत पर या ज़मीन पर मजबूती से फिट किया जाता है।

5️⃣ AC/DC Cables और Protection Devices

  • यह सिस्टम को सुरक्षित और स्मूद चलाने में मदद करते हैं।

ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम कैसे काम करता How Does an On-Grid Solar System Workहै

  1. सूरज की रोशनी पैनलों पर पड़ती है।

  2. पैनल उसे DC करंट में बदलते हैं।

  3. इन्वर्टर DC को AC करंट में बदल देता है।

  4. यह AC बिजली आपके घर या ऑफिस के उपकरणों में इस्तेमाल होती है।

  5. अगर ज्यादा बिजली बनती है, तो वह बिजली विभाग के ग्रिड में भेज दी जाती है।

  6. नेट मीटर इस पूरी प्रक्रिया को रिकॉर्ड करता है।

👉 इस तरह, आपकी बिजली बिल में केवल उतनी ही यूनिट जुड़ती है जितनी आपने ग्रिड से ली है।

ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम के फायदे Benefits of an On-Grid Solar System

1. बिजली बिल में भारी बचत

  • नेट मीटरिंग की वजह से आपका मासिक बिजली बिल 70–90% तक कम हो सकता है।

🔸 2. कम मेंटेनेंस लागत

  • इसमें बैटरी नहीं होती, इसलिए इसकी देखभाल आसान है।

🔸 3. लंबी उम्र

  • सोलर पैनलों की लाइफ 25 साल तक होती है।

  • इन्वर्टर 8–10 साल आराम से चलता है।

🔸 4. ग्रिड से जुड़ाव

  • जब सूरज नहीं निकलता (जैसे रात में), तब बिजली सीधे ग्रिड से मिलती है।

  • यानी कभी बिजली कट नहीं होती।

🔸 5. पर्यावरण के अनुकूल

  • यह सिस्टम ग्रीन एनर्जी का उदाहरण है।

  • इससे प्रदूषण नहीं होता और कार्बन उत्सर्जन घटता है।

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ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम की इंस्टॉलेशन प्रक्रिया Installation Process of an On-Grid Solar System

  • साइट सर्वे (Site Survey):
    विशेषज्ञ आपकी छत की दिशा, जगह, और छाया का विश्लेषण करते हैं।

  • सिस्टम डिजाइन:
    जरूरत के हिसाब से सोलर सिस्टम की कैपेसिटी तय की जाती है (जैसे 3kW, 5kW, 10kW)।

  • नेट मीटरिंग आवेदन:
    बिजली विभाग में नेट मीटरिंग की अनुमति के लिए आवेदन किया जाता है।

  • इंस्टॉलेशन:
    पैनल्स, इन्वर्टर और वायरिंग को तकनीकी टीम द्वारा स्थापित किया जाता है।

  • टेस्टिंग और कनेक्शन:
    सभी उपकरणों की जांच के बाद सिस्टम को ग्रिड से जोड़ा जाता है।

सब्सिडी (Subsidy):

सरकार की तरफ से घरेलू उपयोग के लिए 20% से 40% तक सब्सिडी दी जाती है (राज्य के अनुसार अलग-अलग)।

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नेट मीटरिंग क्या है

नेट मीटरिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें आपका मीटर यह गिनता है कि:

  • आपने ग्रिड से कितनी बिजली ली, और

  • आपने ग्रिड को कितनी बिजली दी।

अगर आपने ज्यादा बिजली भेजी है तो बिजली कंपनी आपको क्रेडिट देगी — यानी अगले महीने का बिल कम आएगा या कई बार “0 बिल” भी हो जाता है।

कौन लोग ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम लगवा सकते हैं
  • जिनके घर या ऑफिस में बिजली की नियमित सप्लाई है।

  • जिनका बिजली बिल हर महीने ₹1500 या उससे अधिक आता है।

  • जिनके पास दक्षिण दिशा में खुली छत या खुला स्थान है।

Q1. क्या ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम बिना बिजली के काम करता है?
👉 नहीं, यह ग्रिड से जुड़ा होता है। अगर ग्रिड बिजली नहीं है, तो सिस्टम बंद हो जाता है।

Q2. क्या इसमें बैटरी लग सकती है?
👉 सामान्यतः नहीं। लेकिन हाइब्रिड इन्वर्टर लगाकर बैटरी जोड़ी जा सकती है।

Q3. क्या सरकार से सब्सिडी मिलती है?
👉 हाँ, घरेलू ग्राहकों को 3kW तक 40% और 3kW से ऊपर 20% सब्सिडी मिलती है।

Q4. क्या यह सिस्टम बारिश या बादल में काम करेगा?
👉 हाँ, लेकिन उस समय बिजली उत्पादन कम होगा।

Q5. ऑन-ग्रिड सिस्टम की उम्र कितनी होती है?
👉 सोलर पैनल 25 साल और इन्वर्टर 8-10 साल तक चलते हैं।

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निष्कर्ष

ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम आज की जरूरत है। यह न केवल बिजली के बिल में राहत देता है, बल्कि पर्यावरण को भी स्वच्छ बनाता है।
अगर आप बिजली के खर्चे से परेशान हैं और एक दीर्घकालिक समाधान चाहते हैं, तो यह सिस्टम आपके लिए स्मार्ट इन्वेस्टमेंट साबित हो सकता है।

“सूरज की रोशनी से अपनी ज़िंदगी में उजाला भरिए,
और बिजली बिल को कहिए अलविदा!”

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